कल करनाल मे भाजपा के अमित शाह अंत्योदय लाभार्थियों के अंतर्मन को साधेंगे , प्रदेशभर से पहुंचेंगे हजारों लाभार्थी

 
Amit shah rally in karnal
सरकार की मंशा अंत्योदय के जरिये लाभार्थियों के अंतर्मन को टटोलने और बदलने की है। विभिन्न जाति वर्ग और सियासी दलों से जुड़े इन लाभार्थियों का यदि अंतर्मन बदला तो इसका बड़ा फायदा चुनाव 2024 में दिख सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सब से करीबी और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह दो नवंबर को करनाल पहुंचेंगे। यहां अंत्योदय सम्मेलन में प्रदेशभर से करीब 30 हजार पात्रों और लाभार्थियों को आमंत्रित किया गया है, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या फिर दिया जाना है।

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2024 की तैयारी मे बीजेपी 

इसके अलावा भी हजारों की संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। वैसे तो यह पूर्णत: सरकारी कार्यक्रम है, लेकिन इसकी बड़े सियासी मायने भी हैं। माना जा रहा है कि सरकार की मंशा अंत्योदय के जरिये लाभार्थियों के अंतर्मन को टटोलने और बदलने की है। विभिन्न जाति वर्ग और सियासी दलों से जुड़े इन लाभार्थियों का यदि अंतर्मन बदला तो इसका बड़ा फायदा चुनाव 2024 में दिख सकता है। इससे पहले हाल में ही नायब सैनी को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाकर पिछड़ों को साधने के प्रयास के बाद अब इस सम्मेलन के जरिये अन्य को भी साधने की तैयारी है।


पिछला किसान आंदोलन हो या फिर कुछ बड़ी बिरादरियां, जिनकी नाराजगी से सरकार या भाजपा अंजान नहीं है। भाजपा का पिछड़ा वर्ग पर पहले से ही फोकस रहा है, लेकिन हाल ही में कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाकर पिछड़ा वर्ग को अपने पाले में करने का एक बड़ा दांव खेला है। अब भाजपा की नजर उन परिवारों के मुखियाओं पर हैं, जिन्हें किसी न किसी रूप में भाजपा की केंद्र या राज्य सरकार की योजना का लाभ मिला है।

चाहे आवास योजना हो या फिर मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना। विशेष जोर उन परिवारों पर भी हैं, जिनकी बुढ़ापा व अन्य तरह की पेंशन बिना कार्यालयों के चक्कर लगाए बन गई। इसके अलावा जिन्हें निशुल्क राशन वितरित किया गया, ये बड़ा वर्ग है। माना जा रहा है कि लाभार्थी और उनके परिवार वोट में परिवर्तित हो गए तो हरियाणा में तीसरी बार सत्ता वापसी का रास्ता आसान हो सकता है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, करीब दो महीने पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय के आईटी सेल के पर्यवेक्षण में हर जिले में मुख्य योजनाओं के लाभार्थियों, जिसमें बुढ़ावा पेंशन शामिल थी के घरों पर जाकर दस्तक दी गई थी। करनाल जिले में ये जिम्मेदारी जिलाध्यक्ष योगेंद्र राणा, ईलम सिंह, प्रवीन लाठर, संजय राणा, आकाशदीप विर्क, अमित कंबोज, सुरेंद्र अरडाना, राजवीर शर्मा, सुनील गोयल आदि नेताओं को भी सौंपी गई थी।

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इन लाभार्थियों के घरों पर जाकर सर्वे किया गया था, जिसमें उनका मन टटोला गया था। इस दौरान कुछ जनसामान्य की नाराजगी भी सामने आई थी, जो राशन कार्ड कटने, पेंशन बंद होने को लेकर थी। इस रिपोर्ट के बाद ही बिजली का बिल 12000 तक होने वाले परिवार को गरीब न मानने की शर्त को हटा दिया गया। परिणाम ये हुआ कि कटे राशन कार्ड फिर जुड़ने लगे। पेंशन भी फिर से शुरू हो गई।

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