गुड के लिए तरस रही है एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी ,केवल 10 प्रतिशत हो रही आवक

उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में स्थित एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी गुड़ की कमी से जूझ रही है। कुल गुड़ उत्पादन का भी केवल 10 प्रतिशत गुड़ ही इस मंडी में आ रहा है।

 
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NODPOT NEWS गुड़ माफिया कोल्हुओं से सीधे गुड़ खरीद रहे हैं। जो सीधे दूसरे प्रदेशों को भेजा जा रहा है। सरकार के टैक्स की सीधे चोरी हो रही है। 90 प्रतिशत गुड़ पर माफिया का कब्जा है। ऐसे में मंडी समिति के अफसरों और जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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जिले में लगभग तीन हजार कोल्हू गुड़ बनाते हैं। गुड़ उत्पादन में यह देश का अग्रणी जिला है। यह देखते हुए ही प्रदेश सरकार ने भी एक जिला-एक उत्पाद में भी यहां के गुड़ को ही शामिल किया है। सरकार और प्रशासन को जहां गुड़ के व्यापार को संरक्षण और सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए थी, वहीं इसके विपरीत एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी गुड़ के लिए तरस गई है।

जिले में लगभग 80 हजार गुड़ के कट्टों का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। जबकि गुड़ मंडी में केवल सात से आठ हजार कट्टे ही प्रतिदिन आ रहे हैं। 90 प्रतिशत गुड़ माफिया कोल्हुओं से सीधे खरीद रहे हैं। मंडी शुल्क के रूप में सरकार को जाने वाला ढाई प्रतिशत भी माफिया को देना नहीं पड़ता। सरकार को सीधे करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है।


मंडी परिषद के अफसरों की मिली भगत से गुड़ को सीधे दूसरे प्रांतों को भेज दिया जाता है। जिन राज्यों में अवैध रूप से गुड़ भेजा जा रहा उनमें राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश मुख्य रूप से शामिल हैं। गुड़ टैक्स फ्री होने के कारण इन राज्यों में पकड़ा नहीं जाता है। मंडी के व्यापारी सीएम योगी आदित्यनाथ, विभाग की मंत्री स्वाति सिंह, विभाग के अधिकारियों से मिलकर और पत्र भेजकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन गुड़ का अवैध कारोबार नहीं रुका है। मंडी समिति के सचिव तो जिले में 399 कोल्हू की ही बात करते हैं, जबकि यहां 498 गांव हैं, प्रत्येक गांव में दो से लेकर दस तक कोल्हू हैं।  


मुख्यमंत्री को कर चुके हैं शिकायत


यूपी के मुजफ्फरनगर स्थित एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी गुड़ के लिए तरस रही है, कुल उत्पादन का दस प्रतिशत गुड़ भी मंडी में नहीं आ रहा है। गुड़ माफिया कोल्हुओं से सीधे गुड़ खरीद रहे हैं। जो सीधे दूसरे प्रदेशों को भेजा जा रहा है। सरकार के टैक्स की सीधे चोरी हो रही है। 90 प्रतिशत गुड़ पर माफिया का कब्जा है। ऐसे में मंडी समिति के अफसरों और जिला प्रशासन के अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 
 

 

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जिले में लगभग तीन हजार कोल्हू गुड़ बनाते हैं। गुड़ उत्पादन में यह देश का अग्रणी जिला है। यह देखते हुए ही प्रदेश सरकार ने भी एक जिला-एक उत्पाद में भी यहां के गुड़ को ही शामिल किया है। सरकार और प्रशासन को जहां गुड़ के व्यापार को संरक्षण और सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए थी, वहीं इसके विपरीत एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी गुड़ के लिए तरस गई है।

जिले में लगभग 80 हजार गुड़ के कट्टों का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। जबकि गुड़ मंडी में केवल सात से आठ हजार कट्टे ही प्रतिदिन आ रहे हैं। 90 प्रतिशत गुड़ माफिया कोल्हुओं से सीधे खरीद रहे हैं। मंडी शुल्क के रूप में सरकार को जाने वाला ढाई प्रतिशत भी माफिया को देना नहीं पड़ता। सरकार को सीधे करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है। 

 

मंडी परिषद के अफसरों की मिली भगत से गुड़ को सीधे दूसरे प्रांतों को भेज दिया जाता है। जिन राज्यों में अवैध रूप से गुड़ भेजा जा रहा उनमें राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश मुख्य रूप से शामिल हैं। गुड़ टैक्स फ्री होने के कारण इन राज्यों में पकड़ा नहीं जाता है। मंडी के व्यापारी सीएम योगी आदित्यनाथ, विभाग की मंत्री स्वाति सिंह, विभाग के अधिकारियों से मिलकर और पत्र भेजकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन गुड़ का अवैध कारोबार नहीं रुका है। मंडी समिति के सचिव तो जिले में 399 कोल्हू की ही बात करते हैं, जबकि यहां 498 गांव हैं, प्रत्येक गांव में दो से लेकर दस तक कोल्हू हैं।  

हमें 399 कोल्हू की जानकारी : सिंह 

कृषि उत्पादन मंडी समिति के सचिव आरके सिंह का दावा है कि जिले में मात्र 399 कोल्हू हैं, इन सबका गुड़ मंडी में ही आ रहा है। हमारी नजर में कहीं भी गुड़ का अवैध कारोबार नहीं हो रहा है। यदि कहीं अवैध कारोबार पकड़ा जाएगा तो कार्रवाई होगी 

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