क्रिकेट के मैदान पर जीवन की बड़ी सीख दे रहे मोहम्मद शमी,कभी हौसला नहीं हारना, सेमाफाइनल मे लिए 7 विकेट

आईसीसी वनडे विश्व कप 2023 का पहला सेमीफाइनल मैच भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। इस मैच में भारतीय गेंदबाज मोहम्मद शमी ने इतिहास रच दिया।
 
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Nodpot News : जीवन में कई ऐसे पल आते हैं जब आप हार जाते हैं। आपके हौसले पस्त हो जाते हैं। आपके हाथ निराशा लगती है। ऐसा नहीं है कि आप मेहनत नहीं कर रहे। जी तोड़ मेहनत के बावजूद आपके हाथ लगती है तो बस निराशा। वो एक ऐसा पल होता है जब आप खुद से भी निराश हो जाते हो और मन करता है कि सब कुछ छोड़ दें। लेकिन भारतीय गेंदबाज मोहम्मद शमी ने हमे सीख दी कि भले ही परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो, आपको अपना काम करते रहना चाहिए। कभी हार नहीं हार नहीं माननी चाहिए या हौसला नहीं हारना चाहिए

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न्यूजीलैंड के खिलाफ लिए 7 विकेट


मुंबई : न्यूजीलैंड के खिलाफ बीते बुधवार को मुंबई के ऐतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम में जो देखने को मिला वो चमत्कार से कम नहीं था। भारतीय टीम के अनुभवी और तेज तर्रार गेंदबाज मोहम्मद शमी ने वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल जैसे बड़े मुकाबले में न्यूजीलैंड के खिलाफ 7 विकेट ले लिए। वनडे में भारत की ओर से एक इनिंग में इससे ज्यादा विकेट किसी खिलाड़ी ने नहीं लिए। इसी के साथ शमी वर्ल्ड कप 2023 के हाइएस्ट विकेट टेकर भी बन गए हैं।
शमी ने 6 मैचों में 23 विकेट ले लिए हैं। वह वर्ल्ड कप में सबसे तेज 50 विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए। इसके अलावा तमाम रिकॉर्ड भी शमी ने अपने नाम कर लिए हैं।

 

सेमीफाइनल में चमके मोहम्मद शमी

 

यह वही शमी हैं जिन्हें वर्ल्ड कप के शुरुआत में कोई पूछ भी नहीं रहा था। वह सिर्फ बेंच गर्म करते हुए नजर आ रहे थे। उनके ऊपर शार्दुल ठाकुर को खिलाया जा रहा था। शुरुआती 4 मैच शमी ने सिर्फ पानी पिलाने का ही काम किया। लेकिन उसके बाद जो उन्होंने किया उसे इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज किया जाएगा।


इतना ही नहीं बल्कि 33 साल के मोहम्मद शमी का करियर हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कभी भी वह टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए। 2019 वर्ल्ड कप में बेहतरीन गेंदबाजी के बाद भी उन्हें सेमीफाइनल की प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया था। हर बार उनसे ऊपर किसी और को मौका मिलता रहा। चाहे वो मोहम्मद सिराज हों या भुवनेश्वर कुमार... लेकिन शमी ने धैर्य रखा और अपने समय आना का इंतजार किया।


भारत ने न्यूजीलैंड को 70 रन से हराया

जब उनका समय आया तो उन्होंने बताया कि वह 24 कैरेट खरा सोना हैं। शमी डायमंड, हीरा, सोना... इस वक्त वह भारत के सब कुछ हैं। उनकी चमक के आगे कोहीनूर की चमक भी फींकी पड़ जाए। लेकिन शमी ने यहां तक पहुंचने के लिए क्या किया... उन्होंने हौसला नहीं आ रहा। वह लड़ते रहे। टीम से बाहर हुए फिर भी लड़े, अपनी पत्नी ने ही मैच फिक्सिंग का आरोप लगा दिया फिर भी लड़े, प्लेइंग 11 से लगातार बाहर रहे... फिर भी लड़े। तो शमी हमें सीख देते हैं कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए। अपने आप और अपने काम पर भरोसा रखना चाहिए, रास्ते अपने आप बन जाते हैं।

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