Uttarkashi Tunnel Rescue मे सहायक बनी Indin Air Force (IAF), 1200 किमी दूर से एयरलिफ्ट करके ले आया मशीन!

बता दें कि इंदौर से एयरलिफ्ट की गई इस मशीन को बैकअप के तौर पर इस्तेमाल किया जाना है ताकि बिना किसी परेशानी के टनल में ड्रिल के काम को आगे बढ़ाया जा सके. इतना ही नहीं इंग्लैंड से टनल एक्सपर्ट क्रिस कूपर भी पहुंच गए हैं. उन्होंने बताया कि वो अब यहां पर इस काम में मदद करेंगे.
बचाव अभियान के बीच सबसे बड़ा सवाल उन लोगों का है, जिनके परिजन पिछले सात दिनों ये इस टनल में फंसे हुए हैं. इन लोगों के सवाल का जवाब देना मुश्किल हो रहा है. आखिर ये लोग अपने भाई बेटे या पिता का इंतजार कब तक करते रहेंगे.
मजदूरों को टनल से बाहर निकालने के अभियान में उस वक्त बाधा आई जब ड्रिल करने वाली मशीन के चलने के बाद जो वाइब्रेशन शुरू हुआ. उसकी वजह से सुरंग के अंदर मलबा फिर से गिरना शुरू हो गया और इस मशीन को बंद कर देना पड़ा था. लेकिन अब सुरंग में जंग के लिए नई तकनीक की मदद ली जा रही है और कामयाबी मिलने का भरोसा भी है.
इस बीच गुजरते वक्त के साथ उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल के बाहर इंतजार कर रहे लोगों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. इस बात से इनकार करना मुश्किल है कि एजेंसियों की ओर से रेस्क्यू के काम में कोई कमी नहीं छोड़ी गई है. लेकिन अभी बड़ी जंग को जीतना बाकी है.
टाइमलाइन और बड़े अपडेट्स की बात करें तो 12 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ था. 13 नवंबर को प्लास्टर से मलबा रोकने की कोशिश की गई. 14 नवंबर को ड्रिल कर पाइप डालने की कोशिश की गई. 15 नवंबर को हाईटेक ऑगर मशीन एयरलिफ्ट की गई. 16 नवंबर को ज्यादा चौड़ी पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू हुई. 17 नवंबर तक 24 मीटर ड्रिल के बाद मशीन खराब हो गई. 18 नवंबर यानी आज इंदौर से नई मशीन पहुंच गई है. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.