उत्तरकाशी टनल हादसा: टनल मे फंसे मजदूर, ज़िंदगी के लिए जंग!

उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे मजदूरों को बचाने की हरसंभव कोशिश जारी है. इन सबके बीच उत्तराखंड एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्र ने मजदूरों से भोजपुरी में बात कर हौसला बढ़ाया
 
 
Uttarkashi tunnel Accident

Uttarkashi Tunnel Accident:  उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे हुए मजदूरों को निकालने का काम जारी है. मजदूरों के लिए पूरा देश दुआ कर रहा है. मजदूरों को रेस्क्यू करने के लिए उत्तराखंड एसडीआरएफ की टीम दिन राक एक किए हुए है. रेस्क्यू की कमान एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्र ने अपने हाथों में ले रखी है. पाइप के जरिए मजदूरों को जरूरी सामान भेजने के साथ उसकी मदद से बातचीत भी की जा रही है. राहत बचाव कार्य में जुटे अधिकारियों का कहना है कि बेहतर विकल्प के जरिए मजदूरों को बचाने की कोशिश की जा रही है. उम्मीद है कि हमें बेहतर नतीजे जरूर मिलेंगे. इन सबके बीच एसडीआरएफ के कमांडेट मणिकांत मिश्र ने मजदूरों से भोजपुरी में बात कर ना सिर्फ ढांढस बढ़ाया बल्कि कहा कि आप लोग एक दम परेशान ना हों. हम सभी लोग आप के साथ हैं. हालांकि मौके पर मजदूरों के परिवार वाले हंगामा भी कर रहे हैं. लेकिन मणिकांत मिश्र ने क्या कहना पहले उसे जानते हैं.

'परेशान मत होखिह, बचावे खातिर बहुल लोग बाटें': मजदूरों का हौसला बढ़ाने के लिए उन्होंने पाइप के जरिए बातचीत की. टनल में फंसे मजदूरों से भोजपुरी में बात करते हुए कहा कि परेशान मत होखिह, तोहरा के बचावे के खातिर बहुत लोग यहां बाटे. आराम से निकल जइब कउनो चिंता क बात नइखे. उन्होंने ढांढस देते हुए मजदूरों से कहा कि परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. हम सब लोग पूरी तरह से जुटे हुए हैं, आप लोग हिम्मत मत हारिए.

फंसे मजदूर बोले- ऑक्सीजन की कमी ना होने दें: बता दें कि टनल में फंसे मजदूरों के पास जो वॉकी टॉकी है वो सही से काम नहीं कर रहे हैं. बातचीत के लिए सिर्फ पाइप ही लाइफ लाइन बने हुए हैं. इन पाइप के जरिए ही लोगों को खाने पीने के सामान को पहुंचाया जा रहा है. इसके जरिए ही संपर्क भी साधा जा रहा है. एसडीआरएफ के कमांडेट ने मजदूरों से पूछा कि आप लोगों को सबसे अधिक जरूरत किस चीज की है. मजूदरों को चना, बादाम, बिस्किट, सिरदर्द ओआरएस के पैकेट और बुखार की दवाओं को भेजा जा रहा है. इसके साथ ही हर एक मजदूर से बातचीत की भी कोशिश हो रही है.

रेस्क्यू ऑपरेशन में फंसे मजदूरों से संपर्क बनाए रखने की चुनौती है. वॉकी टॉकी की बैटरी भी तेजी से खत्म हो रही है. बताया जा रहा है कि अगले 30 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन और चलेगा, इन सबके बीच मजदूरों की मांग है कि खाने पीने के सामान में भले ही कमी हो, ऑक्सीजन की कमी ना होने दें. मजदूर बता रहे हैं कि अंदर गर्मी और उमस अधिक है और उसकी वजह से सबसे अधिक दिक्कत हो रही है. बता दें कि उत्तरकाशी जिले में सिल्क्यारा में टनल को बनाया जा रहा है जो चारधाम का हिस्सा है. 12 नवंबर को टनल के धंसने की वजह से 40 मजदूस फंस गए.

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

Tags