What is D2M Networking? : बिना इंटरनेट अब देख सकेंगे मूवी, जानिए क्या है ये D2M Networking...

D2M नेटवर्किंग, या डिवाइस-टू-मेटावर्से नेटवर्किंग, एक नई प्रकार की नेटवर्किंग है जो डिवाइसों को मेटावर्से में एक-दूसरे से जुड़ने की अनुमति देती है. यह डिवाइसों को एक साथ काम करने, कम्यूनिकेट करने और डेटा शेयर करने की अनुमति देता है.
 
D2M Marketing

D2M नेटवर्किंग, जिसे डिवाइस-टू-मेटावर्से नेटवर्किंग की काफी चर्चा हो रही है. केंद्रीय दूरसंचार विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और IIT कानपुर ने काम शुरू कर दिया है. इसका विरोध टेलीकॉम ऑपरेटर्स, चिप मैन्यूफेक्चरर, नेटवर्क प्रोवाइडर्स और हैंडसेट मेकर्स कर रहे हैं. क्योंकि डी2एम से उनका डेटा रेवेन्यू प्रभावित होना तय है. उनका 80% ट्रैफिक वीडियो से आता है. आइए जानते हैं क्या है D2M नेटवर्किंग? कैसे काम करती है?

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क्या है D2M नेटवर्किंग?
D2M नेटवर्किंग, या डिवाइस-टू-मेटावर्से नेटवर्किंग, एक नई प्रकार की नेटवर्किंग है जो डिवाइसों को मेटावर्से में एक-दूसरे से जुड़ने की अनुमति देती है. यह डिवाइसों को एक साथ काम करने, कम्यूनिकेट करने और डेटा शेयर करने की अनुमति देता है, जिससे मेटावर्से में अधिक संपूर्ण बनाया जा सकता है.

D2M Networking: क्या हैं लाभ?

पहला लाभ: यह डिवाइसों को एक-दूसरे से अधिक कुशलता से जुड़ने की अनुमति देता है. यह डिवाइसों के बीच डेटा के ट्रांसफर को तेज करता है और नेटवर्क पर भार को कम करता है.

दूसरा लाभ: D2M नेटवर्किंग डिवाइसों को अधिक सुरक्षित तरीके से जुड़ने की अनुमति देता है. यह डिवाइसों को पहचानने और प्रमाणित करने के लिए मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग करता है.

तीसरा लाभ: D2M नेटवर्किंग डिवाइसों को अधिक ऑटोनोमस तरीके से कार्य करने की अनुमति देता है. यह डिवाइसों को एक-दूसरे के साथ संवाद करने की अनुमति देता है.

D2M नेटवर्किंग कैसे काम करता है?: D2M नेटवर्किंग ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का एक मिक्सचर है. यह एफएम रेडियो प्रसारण के समान तकनीक का उपयोग करता है, लेकिन यह ब्रॉडबैंड की हाई स्पीड और कैपेसिटी प्रदान करता है. D2M नेटवर्किंग में, उपकरण एक-दूसरे के साथ रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करके संवाद करते हैं. इसके लिए 526-582 मेगाहर्ट्स बैंड का उपयोग किया जाएगा, जो वर्तमान में टीवी ट्रांसमीटर के लिए उपयोग किया जाता है.

फ्री में देख सकेंगे कंटेंट: जून में IIT कानपुर ने देश में डी2एम प्रसारण और 5जी कन्वर्जेंस रोडमैप पर एक व्हाइट पेपर पब्लिश किया था. उसमें कहा गया कि डी2एम नेटवर्क का उपयोग करके ब्रॉडकास्टर रीजनल टीवी, रेडियो, एजुकेशन मटेरियल, इमर्जेंसी अलर्ट सिस्टम, आपदा से संबंधित जानकारी, वीडियो और डेटा-पावर्ड ऐप प्रदान कर सकते हैं. ये ऐप इंटरनेट के बिना चलेंगे और कम कीमत पर उपलब्ध होंगे. 

3 साल बाद होंगे भारत में 100 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स: भारत में टीवी की पहुंच अभी भी सीमित है. केवल 21 से 22 करोड़ परिवारों में टीवी है. वहीं, स्मार्टफोन की पहुंच बहुत अधिक है. 2023 में, 80 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास स्मार्टफोन है, जो 2026 तक 100 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. सरकार इस बढ़ती पहुंच का लाभ उठाना चाहती है. वह टीवी कंटेंट को स्मार्टफोन पर पहुंचाकर अधिक लोगों तक पहुंचने की योजना बना रही है. इससे सरकार शिक्षा और आपातकालीन सेवाओं का प्रसारण करने में सक्षम होगी.

D2M नेटवर्किंग का उपयोग इन तरह के ऐप्स में किया जा सकता है:

मेटावर्से: D2M नेटवर्किंग मेटावर्से को एक वास्तविक स्थान बनाने में मदद कर सकता है, जहां लोग एक-दूसरे के साथ अधिक नेचुरल तरीके से जुड़ सकते हैं.

ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR): D2M नेटवर्किंग AR और VR ऐप्स को अधिक कॉर्डिनेटेड बनाने में मदद कर सकता है.

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): D2M नेटवर्किंग IoT डिवाइसेस को एक-दूसरे के साथ अधिक आसानी से जुड़ने और डेटा शेयर करने की अनुमति दे सकता है.

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