एक आदमी ऐसी जगह पर अनार उगाने में सक्षम हो गया जहां इसे उगाना बहुत मुश्किल है, जैसे कि रेगिस्तान। जानिए कैसे राजस्थान के रेगिस्तान मे अनार उगाया गया

Pomegranate in Desert:राजस्थानों के किसानों के द्वारा एक  ऐसा कारनामा किया है, जिसको सुनकर लोग सोच मे पड़ गए है। चंद्रप्रकाश  माली  नामक एक शख्स ने रेगिस्तान  मे अनार  उगा  दिया, आइए  जानते है एस कैसे संभव हो पाया 
 
Pomegranate in Desert

Pomegrante in Rajasthan desert: 
 यह तो हम सभी जानते हैं कि उपजाऊ मिट्टी में फसल बहुत ही अच्छी तरह से उगती है, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि रेतीली जमीन पर किसी फल की पैदावार हो सकती है? शायद नहीं. चलिए आज हम आपको हैरान कर देने वाली खबर के बारे में बताते हैं. राजस्थान के किसानों ने एक ऐसा कारनामा किया है, जिसके बारे में जानकर लोग सोच में पड़ गए. उन्होंने रेगिस्तान में अनार उगा दिया. चंद्रप्रकाश माली नाम के किसान ने ऐसा संभव कर दिखाया है. जोधपुर और जैसलमेर के बीच फलोदी जिले के देचू गांव में किसान ने अपनी कुल 123 बीघा जमीन में से 80 बीघा जमीन पर अनार की खेती कर रहे हैं.

एक 50 साल के एक शख्स  ने किया ये कारनामा 
50 साल के शख्स का ऐसा बाग, जिसमें वह वह 9,000 अनार के पौधों को उगाते हैं. यह जगह एक शुष्क कृषि-जलवायु क्षेत्र में रेत के टीलों से घिरा हुआ है, जहां ज्यादातर लोग प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा (एक विदेशी पौधा), सफेद बुई (रेगिस्तानी कपास) जैसी बारहमासी झाड़ियां देखते हैं. यहां पर आक (कैलोट्रोपिस प्रोसेरा) और हार्डी खेजड़ी फूल वाला पेड़ उगता है. यह इस बात का प्रमाण है कि टेक्नोलॉजी और इंसान मिलकर क्या कुछ नहीं कर सकते.

अनार राजस्थान के लिए नई फसल है जिसे लगभग 12,500 हेक्टेयर में उगाई जाती है. इसमें दक्षिणी बाड़मेर, सांचौर, जालौर और सिरोही में 10,000 हेक्टेयर और उत्तरी बाड़मेर, जोधपुर व फलोदी जिलों में 2,500 हेक्टेयर शामिल है. चंद्रप्रकाश माली ने रघुनाथ कृष्णराम कुमावत के बाद अनार की खेती शुरू की, जिन्होंने लगभग 10 साल पहले उसी गांव में 2,500 पौधों वाला 14 बीघे का अनार का बगीचा तैयार किया था. देचू से कलौ तक का 30 किलोमीटर का इलाका अब एक प्रमुख अनार क्लस्टर है, जिसमें सभी बगीचों में ड्रिप सिंचाई की सुविधा है.

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

राजस्थान  की  रेतीली  जगह पर उगा  लिया अनार  
चंद्रप्रकाश माली की भूमि का मूल्य 2004 में मात्र 8,000 रुपये प्रति बीघे से बढ़कर 2017 में 1 लाख रुपये और अब 5 लाख रुपये हो गया है. यह सब अनार की बदौलत है. लगभग 2004 तक, माली एक ही खरीफ या यूं कहे कि एक ही मानसून के बाद की फसल के मौसम के दौरान केवल बाजरा (मोती बाजरा), ग्वार (क्लस्टर बीन), मोठ (ओस बीन) और मूंग (हरा चना) की खेती करते थे. यहां तक कि उनका भाग्य भी सब ऊपर वाले के भरोसे पर था. फिर उसके बाद अनार की तरफ रुख लिया और उससे काफी फायदा हुआ. फिलहाल, राजस्थान के किसानों ने दिखाया है कि थार में अनार को लाल सोने में बदला जा सकता है, जैसे इजराइल के नेगेव रेगिस्तान में बागवानी फल-फूल रही है.

Tags