
Trending: कर्नाटक के कई कुंवारे किसान अगले महीने मांड्या के एक मंदिर तक पैदल मार्च करने की योजना बना रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. दरअसल, उन्हें आसानी से दुल्हन नहीं मिल रहीं, जिसकी वजह से वह दुल्हन पाने के लिए दैवीय हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. कुछ ऐसी ही एक पदयात्रा ठीक आठ महीने पहले भी की जा चुकी है. इसी साल के मार्च महीने में, लगभग 100 कुंवारे किसान मांड्या के एक मंदिर तक पैदल मार्च करके गए थे. इस इलाके के लोगों का कहना है कि महिलाएं गांव के इलाके में बसना नहीं चाहतीं, और यही वजह है कि गांव के मौजूद कुंवारों की शादियां नहीं हो रही.
कुंवारों लड़कों को शादी के लिए नहीं मिल रहीं लड़कियां: दुल्हन संकट की वजह से यहां के किसान कहते हैं कि कई महिलाओं और उनके परिवारों को लगता है कि ग्रामीण जीवन कठिन और पिछड़ा है. वे शहरी जीवन की सुविधाओं और अवसरों को पसंद करते हैं. किसानों का कहना है कि वे इस समस्या का समाधान चाहते हैं. मीडिया में आई खबर के मुताबिक, एक किसान कहा कि हम कोई भी दहेज नहीं डिमांड नहीं कर रहे हैं. हम भावी दुल्हनों की रानियों की तरह देखभाल करेंगे. लेकिन इसके बाद भी भी परिवार हमें अपनी बेटियां देने के लिए तैयार नहीं है. यही वजह है कि हमने इस समस्या के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए यह पदयात्रा निकाली."
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी पदयात्रा: उन्होंने यह भी बताया कि अगले महीने दिसंबर में मांड्या में कुंवारे किसानों ने अखिल कर्नाटक ब्रह्मचारिगला संघ के बैनर तले आदिचुंचनगिरी मठ तक मार्च करने का प्लान है. संघ के संस्थापक केएम शिवप्रसाद ने यह भी कहा कि हम आदिचुंचनगिरी के संत निर्मलानंदनाथ स्वामी से मिले और उनसे ने अपनी बात रखी. बात सुनने के बाद उन्होंने यात्रा के लिए सहमति दी. इस पदयात्रा का उद्देश्य दुल्हन संकट के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करना है." पिछले पदयात्रा में कई ऐसे पुरुष थे, जिनकी उम्र 30 साल या इससे भी ज्यादा थी और पदयात्रा में सौ से अधिक लोग शामिल थे.